केरल: वर्षों से पद्मनाभस्वामी मंदिर प्रबंधन को लेकर चल रही लड़ाई 13 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद खत्म हो गई है तिरुवनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में वित्तीय गड़बड़ी को लेकर प्रबंधन और प्रशासन के बीच सालों से चल रहे कानूनी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर राजपरिवार के अधिकार को बरकरार रखा है। इस फैसले को एक तरीके से लोग धर्म की जीत बता रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राज परिवार की तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैल रही है तथा तस्वीर में राजकुमार तथा उनकी मां गले मिलते हुए दिख रहे हैं जिससे उनके संघर्ष का पता लगता है।
क्या कहा है सर्वोच्च न्यायालय ने ?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे और मुख्य कमिटी के गठन तक यही व्यवस्था रहेगी। कोर्ट ने आदेश में यह स्पष्ट कहा कि मुख्य कमिटी में राजपरिवार की अहम भूमिका रहेगी। इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने 31 जनवरी 2011 को इस संबंध में फैसला सुनाया था। इसमें श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का नियंत्रण लेने के लिए न्यास गठित करने को कहा गया था।इसके बाद त्रावणकोर के राजपरिवार ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और SC ने 2 मई, 2011 को केरल HC के फैसले पर रोक लगा दी थी।पिछले साल करीब 3 महीने तक दलीलें सुनने के बाद जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने 10 अप्रैल को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है।
वर्षों से लड़ रहा था राजपरिवार
आपको बता दें कि मंदिर प्रबंधन को लेकर पिछले 9 साल से विवाद चल रहा था, केरल के तिरुवनंतपुरम में 18वीं सदी में त्रावणकोर राजकुल ने भगवान विष्णु के इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था और स्वतंत्रता के बाद तक भी मंदिर का संचालन पूर्ववर्ती राजपरिवार के नियंत्रण वाला ट्रस्ट ही करता रहा। सरकारों के मंदिर प्रबंधन में हस्तक्षेप के बाद इसका नियंत्रण राज परिवार से दूर चला गया था जिसके लिए त्रावणकोर राजपरिवार वर्षों से लड़ रहा था। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद राज परिवार में खुशी की लहर फैल गई है तथा जनता भी इस फैसले से खुश नजर आ रही है।